ओडिशा की नायिका
प्रकृति के ज्ञान में जो निपुण बड़ी,
रसायन, नक्षत्र को समझे सहज,
गणित के सूत्रों में बुद्धि खड़ी,
कंप्यूटर कोड में लिखे मंत्र महज।
रातों में तारे उसे गीत सुनाएँ,
सवालों के उत्तर स्वयं दे गगन,
रसायन के खेलों में रंग मुस्काएँ,
उसकी कल्पना से झुके हर अगन।
माटी की खुशबू, पखाल की मिठास,
छेना पोड़ा, रसगुल्ला, स्वाद निराला,
दालमा संग जब चखे चावल भास,
मन उसका महके सुधा का प्याला।
ज्ञान, स्वाद, तकनीक से जो सजी,
ओडिशा की बेटी, अद्भुत, सजीव!